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Jaipur Tanker Blast: 15 Lost Lives and Several other Burnt
जयपुर टैंकर ब्लास्ट : 15 मौतें, मदद के लिए जलते-भागते-चिल्लाते रहे
पीड़ित, वीडियो बनाते रहे लोग
32 वर्षीय मोटर मैकेनिक राधेश्याम जब अपनी मोटरसाइकिल पर घर से निकले थे तो उसने सपने में भी नहीं सोचा होगा की उसके साथ क्या होगा, की लोग उनकी मदद करने के बजाय उनकी जलते हुवे की विडिओ बनाते रहेंगे।
घटना जयपुर की है जब जयपुर-अजमेर राजमार्ग पर एलपीजी टैंकर-ट्रक दुर्घटना में मरने वालों की संख्या शुक्रवार को 11 तक पहुंच गई, राज्य सरकार ने कहा कि घायलों में से लगभग आधे लोग "बहुत गंभीर" थे। दुर्घटना के परिणामस्वरूप भीषण आग लग गई जिसने 37 वाहनों और आसपास की इमारतों को अपनी चपेट में ले लिया।
इस घटना में अब तक कुल 11 लोगों की मौत हो चुकी है. पांच को मृत अवस्था में एसएमएस अस्पताल लाया गया। इलाज के दौरान पांच ने दम तोड़ दिया। एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. दीपक माहेश्वरी ने कहा, जयपुरिया अस्पताल से एक मौत की सूचना मिली है
जयपुर के पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसेफ के अनुसार रोड एक्सीडेंट की टक्कर में एलपीजी टैंकर का आउटलेट नोजल क्षतिग्रस्त होने के बाद आग लग गई, जिससे गैस का रिसाव हुआ। हादसा सुबह 5.30 बजे एक स्कूल के सामने हुआ. अचानक फैली आग ने टैंकर के पीछे वाले वाहनों और आने-जाने वाले वाहनों को अपनी चपेट में ले लिया। जोसेफ ने कहा, "टैंकर के पीछे के वाहन आग की लपटों में घिर गए। विपरीत दिशा से आ रहे अन्य वाहनों में भी आग लग गई और वाहन आपस में टकरा गए।" इस घटना में बहुत से पुलिस कर्मी भी जल गए हैं जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है
Deventra fadanvis take Oath as Maharashtra CM
देवेंद्र बने तीसरी बार मुख्यमंत्री और अजीत -एकनाथ डिप्टी CM
महाराष्ट्र के बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के तीसरी बार मुख्यमंत्री बने, एकनाथ और अजीत पवार को भी उपमुख्यमंत्री बनाया गया
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोले महारष्ट्र अब नहीं रुकेगा, मंत्रिमंडल में ज्यादा फेरबदल न करके महाराष्ट्र के विकास को बल दिया जायगा।
शपथ समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत कई बड़े नेता और बोलीवुड अभिनेता शामिल हुए..उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य अपने घोषणापत्र में दिए गए आश्वासनों को पूरा करना है. यह सरकार पारदर्शी तरीके से काम करेगी. लाड़की बहिण योजना को भी जारी रखा जायेगा और उसकी राशि को 1500 से बढ़ा कर 2100 किया जायेगा। किन्तु इस योजना के लिए पहले आर्थिक स्त्रोत बढ़ए जायेगें।
मुख्यमंत्री के रूप में फडणवीस ने एक बोनमेरो ट्रांसप्लांट पीड़ित को 5 लाख की सहायता राशि के लिए पहला हस्ताक्षर किया। उन्होंने कहा की बड़ी उम्मीदों से बड़ी जिम्मेदारी भी आती है।
भले ही विधायकों के आग्रह पर एकनाथ शिंदे ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, एकनाथ शिंदे गृह मंत्रालय की अपनी मांग पर अड़े हैं। शिंदे गृहमंत्रालय के साथ शिवसेना को 12 मंत्रालय देने की मांग कर रहे हैं। शिवसेना नेताओं का कहना है कि सीएम पद न मिलने के चलते अब केवल गृहमंत्रालय ही है जो शिंदे को शांत रखेगा। महायुति का अलायंस अब किस करवट बैठेगा ये अगले कुछ दिनों में साफ़ होने लगेगा
देवेंद्र फडणवीस लगभग महाराष्ट्र मुख्यमंत्री तय: दिल्ली पहुँच रहे आज
देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने की दावेदारी लगभग तय के बाद, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के नाम की औपचारिक घोषणा दिल्ली में की जाएगी
राज्य के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और राज्य के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस का नाम सबसे आगे चल रहा है. माना जा रहा है कि 29 नवंबर को उन्हें बीजेपी के विधायक दल का नेता चुने जाने का औपचारिक ऐलान भी कर दिया जाए. साथ ही दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ आज शाम होने जा रही बैठक में मुख्यमंत्री के नाम का भी ऐलान संभव है.
एकनाथ शिंदे को मनाया गया: केंद्र में दी जा सकती है अहम् भूमिका
उधर महायुति गठबंधन की बैठक में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे को भी मना लिया है और अब एकनाथ शिंदे ने अपनी दावेदारी छोड़ दी है या उन्हें छोड़नी पडी है. सूत्रों के हवाले से अब ये खबर आ रही है कि महाराष्ट्र में सीएम पद की दावेदारी छोड़ने के लिए केंद्र सरकार ने एकनाथ शिंदे की पार्टी को केंद्र में दो से तीन अहम मंत्रालय देने का मन बना लिया है. एकनाथ शिंदे को जो तीन मंत्रालय देने की तैयारी चल रही है उनमें शहरी विकास मंत्रालय, लोक निर्माण मंत्रालय और जल संसाधन मंत्रालय शामिल हैं.
एकनाथ शिंदे ने उत्तराधिकारी के नाम पर केंद्र द्वारा जो भी फैसला लिया जाएगा, वह बीजेपी के नेतृत्व के हर फैसले का समर्थन करेंगे और इस प्रक्रिया में किसी तरह की अड़चन नहीं आएगी. इसके साथ ही महाराष्ट्र में नए मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला फडणवीस के पक्ष में जाता दिख रहा है. इस उठापटक में मुख्यमंत्री के चयन पर गृहमंत्री अमित शाह ने इसमें अहम भूमिका निभाई है
महाराष्ट्र में महायुती ने महाआघाडी का खेल बिगाड़ा: बीजेपी बना रही
सरकार: मुख्यमंत्री की कुर्सी किसकी ?
महायुती महाराष्ट्र के चुनाव में सस्ते में निपट गए या निपटाए गए, अब इसमें जनता का निर्णय था या कुछ और ये अभी तक किसी के समझ नहीं आ रहा।
जनता कुछ और कहती रही किन्तु परिणाम कुछ और आ रहे हैं, शिवसेन उद्धव को लगभग समाप्त कर दिया है, अब दौड़ मुख्यमंत्री की कुर्सी पर किसे बिठाने की होगी, किन्तु जिस तरह से चुनाव के परिणाम आश्चर्यजनक रूप से अलग आये है या लाये गए हैं उसी तरह से महारष्ट्र की कुर्सी पर कौन बैठेगा ये भी पहले ही तय हो चूका होगा। देवेंद्र फडणवीस को सीटों की संख्या के आधार पर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया जा सकता है, या उन्हें दिल्ली बुला कर कोई अच्छा सा ओहदा दे कर, शिंदे को फिर से जिम्मेदारी दी जा सकती है.
यदि चुनाव ईमानदारी से हुवे हैं तो, शिंदे सरकार की माझी लड़की बहन योजना ने ऐसा लग रहा है चुनावी खेल को एक तरफ़ा बना दिया, जिसे विपक्षी दल समझ नहीं पाए, लोगों की भीड़ तो महाविकास आघाडी की रैलियों में थी किन्तु, स्त्रियों ने वही किया जो शिंदे ने सोचा, और 1500 रूपये महीने में महाराष्ट्र स्त्रियों के वोट को अपनी और मोड़ कर, सारा चुनावी खेल पलट गया.
बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का डंडा चला :
सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोज़र से घरों को गिराने के मामले में नया मोड़ : जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने बुलडोज़र एक्शन पर लगाम लगते हुवे कहा कि किसी व्यक्ति के घर या संपत्ति को सिर्फ़ इसलिए तोड़ दिया जाना कि उस पर अपराध के आरोप हैं, क़ानून के शासन के ख़िलाफ़ है. सिर्फ आरोप पर किसी के भी घर को बुलडोज़र से गिरना गैरकानूनी ही नहीं इंसानियत के खिलाफ भी है.
सुप्रीम कोर्ट ने ये दिशा-निर्देश घरों को बुलडोज़र से तोड़े जाने के ख़िलाफ़ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए हैं.
अपना आदेश सुनाते हुए जस्टिस गवई ने कहा, ''एक आम नागरिक के लिए घर बनाना कई सालों की मेहनत, सपनों और महत्वाकांक्षाओं का नतीजा होता है.'' यदि कोई उस पर झूठा आरोप लगा देता है तो इसका मतलब तुरंत उसके घर को बुलडोज़र से गिरा देना न तो तर्क सांगत है न कानून के पालन के अनुरूप है व इसमें पुलिस की इस तरह की कार्यवाही को सरासर अपराध बताया है . उत्तर प्रदेश समेत देश के कई बीजेपी शासित राज्यों में इस तरह की घटनाएं अचानक से बढ़ गयी थी जिसे रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी राज्यों की सरकारों को चेताया था.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा है कि ऐसे मामलों में जो अधिकारी क़ानून अपने हाथ में लेते हुए इस तरह की मनमानी कार्रवाई करते हैं, उन्हें भी जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.
राज्य सरकारों की इस तरह की मनमानी, एकतरफ़ा और भेदभावपूर्ण कार्रवाइयों को रोकने के लिए कुछ दिशा निर्देश ज़रूरी है.
सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी परिस्थितियों से निबटने के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं
क्या हैं सुप्रीम कपर्ट के नए दिशा निर्देश :
- पूर्व में कारण बताओ नोटिस दिए बिना विध्वंस की कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए. इस नोटिस का उत्तर या तो स्थानीय नगरपालिका क़ानूनों में निर्धारित समय के अनुसार या नोटिस दिए जाने के पंद्रह दिनों के भीतर दिया जा सके.
- नोटिस पंजीकृत डाक से भेजा जाए और संपत्ति पर भी चिपकाया जाए. नोटिस में विध्वंस के आधार स्पष्ट हो.
- नोटिस को पूर्व तिथि पर जारी किए जाने के आरोपों से बचने के लिए, जैसे ही नोटिस संपत्ति के स्वामी या वहां रहने वालों को भेजा जाए, उसके बारे में जानकारी ज़िलाधिकारी कार्यालय या कलेक्टर ऑफ़िस में भी भेजी जाए.
- देश की हर स्थानीय नगर पालिका प्राधिकरण को, इन दिशा निर्देशों के प्रकाशन के तीन महीनों के भीतर एक डिज़िटल पोर्टल बनाना करना होगा, जिस पर नोटिस दिए जाने, नोटिस चिपकाए जाने, नोटिस के जवाब और इस संबंध में जारी आदेश की कॉपी सार्वजनिक हो.
- प्रशासन को पीड़ित को सुनवाई का मौक़ा देना होगा और इसकी बैठक की रिकॉर्डिंग भी की जाए.
- विध्वंस के आदेश के ख़िलाफ़ अपील किए जाने और न्यायिक समीक्षा का अवसर भी होना चाहिए.
- विध्वंस के आदेश को डिज़िटल पोर्टल पर प्रदर्शित किया जाना चाहिए.
- संपत्ति के स्वामी को अवैध हिस्से को पंद्रह दिनों के भीतर स्वयं गिराने का अवसर दिया जाना चाहिए और अगर अपील प्राधिकरण विध्वंस आदेश पर स्थगन आदेश ना दे, तब ही विध्वंस की कार्रवाई की जानी चाहिए.
- विध्वंस की कार्रवाई की वीडियोग्राफ़ी की जानी चाहिए और विध्वंस रिपोर्ट तैयार की जानी चाहिए.
- किसी भी निर्देश का उल्लंघन होने पर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी. अगर विध्वंस की कार्रवाई में अदालत के निर्देशों का उल्लंघन पाया जाता है तो संबंधित अधिकारियों अपने निजी खर्च पर गिराई गई संपत्ति की पुनर्स्थापना कराएंगे.
किन्तु सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि "ये आदेश ऐसे मामलों में लागू नहीं होंगे जहां सार्वजनिक स्थलों, जैसे कि सड़क पर कोई अवैध संरचना हो".
स्पोर्ट्स न्यूज़ ( कौन जीता बूढ़ा माइक या जवान पॉल )
दिल्ली गैस चैम्बर बनी, दिल्ली वालों के लिए नई मुसीबत :
दिल्ली में तीसरे दिन भी वायु प्रदूषण का स्तर नियत लेवल से गंभीर स्तर तक ऊपर चल रहा है.
दिल्ली में शनिवार को प्रदूषण की स्थिति और खराब हो गई और वायु गुणवत्ता एक बार फिर से ‘बहुत ज्यादा खराब’ श्रेणी में पहुंच गई। हालांकि, इसमें सुबह के सुधार दिखा था।
राष्ट्रीय राजधानी का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शाम चार बजे 316 दर्ज किया गया, जो सुबह के 290 से अधिक है।
आनंद विहार में तो वायु प्रदूषण का स्तर अंतर्राज्यीय बस अड्डे और ग़ज़िआबाद बस अड्डे के कारण ‘अति गंभीर’ श्रेणी (एक्यूआई 400 से ऊपर) तक पहुंच गया, जबकि शहर के 27 अन्य निगरानी स्टेशनों में एक्यूआई ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज किया, जिसका स्तर 300 से ऊपर था। पड़ोसी गाजियाबाद (330) में भी एक्यूआई ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया। ध्यान रहे प्रदूषण का स्वस्थ स्तर QI 2.5 तक ही है .
यूनाइटेड पेंशन स्कीम का मसौदा तैयार: होगा लागू
यूपीएस कुछ मामलों में OPS से बेहतर है न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था के लिए बल्कि कर्मचारियों के लिए भी किन्तु कुछ कर्मचारी संगठन इसका विरोध कर रहे हैं, उन्हें लगता है की सरकार उनका हक छीन रही है
हीरो ने लॉन्च किया vida V1 प्लस