भेड़ियों का आतंक: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में 10 की गई जान
आदमखोर भेड़ियों का आचरण विशिष्ट होता है, जो उन्हें सामान्य भेड़ियों से अलग करता है। आमतौर पर ये भेड़िये इंसानी बस्तियों के आसपास शिकार करना शुरू कर देते हैं। उनकी कार्यप्रणाली इस प्रकार होती है:
शिकार की तलाश: आदमखोर भेड़िये कमजोर और असुरक्षित लोगों, जैसे बच्चे या बुजुर्गों, को अपना शिकार बनाते हैं। वे अक्सर रात या सुबह के समय हमला करते हैं, जब लोग कम सतर्क होते हैं।
बस्तियों के पास घूमना: ये भेड़िये जंगल छोड़कर इंसानी बस्तियों के नजदीक आ जाते हैं, जहां भोजन की तलाश में घूमते हैं। जब उन्हें शिकार नहीं मिलता, तो वे इंसानों पर हमला कर देते हैं।
झुंड में हमला: भेड़िये अक्सर झुंड में होते हैं और सामूहिक रूप से शिकार करते हैं, जिससे उनके लिए किसी एक इंसान को घेरना आसान हो जाता है।
दुबक कर हमला करना: ये भेड़िये घने जंगलों या खेतों में छिपकर रहते हैं और अचानक हमला करते हैं। उनकी तीव्र गति और ताकत उन्हें खतरनाक बनाती है।
रात में सक्रियता: भेड़िये मुख्य रूप से रात के अंधेरे में सक्रिय होते हैं, ताकि उनका पता लगाना मुश्किल हो। इसी कारण वे रात में हमला करते हैं, खासकर बच्चों पर जो घर से बाहर खेल रहे होते हैं या खेतों में काम कर रहे होते हैं।
ये भेड़िये आम तौर पर अकेले हमला नहीं करते, बल्कि समूह में घात लगाकर हमला करते हैं, जिससे उनके शिकार का बचना बेहद मुश्किल हो जाता है
हाल ही में उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में भेड़ियों ने पिछले कुछ हफ्तों में कई लोगों पर हमला किया है, जिसमें से अधिकांश बच्चे थे। अब तक, इन हमलों में कम से कम आठ लोगों की जान जा चुकी है, जबकि लगभग 25 - 30 अन्य घायल हुए हैं।
भेड़ियों का यह आतंक खासतौर पर रात के समय होता है, जब वे गांवों के आसपास आकर लोगों पर हमला करते हैं। इस संकट से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने "ऑपरेशन भेड़िया" शुरू किया है। इस अभियान के तहत 16 टीमें तैनात की गई हैं, जो ड्रोन और थर्मल मैपिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके इन भेड़ियों को पकड़ने की कोशिश कर रही हैं।
अब तक चार भेड़ियों को पकड़ लिया गया है, लेकिन अभी भी कुछ भेड़िये पकड़े नहीं जा सके हैं। इस स्थिति को लेकर स्थानीय लोगों में काफी डर और तनाव का माहौल है, और प्रशासन पूरी मुस्तैदी के साथ इन भेड़ियों को पकड़ने में जुटा हुआ है
इन भेड़ियों में जरूरी नहीं जो भेड़िया हमला कर रहा है वही पकड़ा गया या कोई दूसरा बेक़सूर भेड़िया पकड़ा गया है , ये तो कुछ समय के बाद ही पता चल सकेगा यदि हमले रूक जाते हैं
किन्तु सीतापुर से भी अब भेड़ियों के हमले की खबरें आ रही हैं, इसका सीधा मतलब तो ये है की जो भेड़िये अब तक पकडे गए हैं वे हमला नहीं कर रहे बल्कि कोई और भेड़िए या उसका झुंड है जो हमले के लिए जिम्मेदार है .
साक्ष्यों पर जाएँ तो इसमें भेड़ियों का पूरा झुंड हमला नहीं कर रहा बल्कि झुंड से बाहर निकला कोई भेड़िया है जो इंसानों पर हमला कर रहा है, क्योंकि यदि झुंड हमला करे तो वह अपने शिकार को मिल के नोंच खाते हैं, जबकि यहाँ हमले के बाद झुंड का नहीं बल्कि किसी एक भेड़िये के नोचने के निशान मिल रहे हैं .
क्यों करते हैं भेड़िये इंसानों पर हमला ?
भेड़िये साधारणतया इंसानों से दूरी बना कर रहते हैं और इंसानों से डरते भी हैं किन्तु इंसानों की तरह जिस तरह हर इंसान अलग प्रकृति का होता है, कोई एकदम से गुस्सा हो लड़ने को तैयार हो जाते हैं तो कुछ विषम परिस्थिति में भी कूल बनें रहते हैं. उसी तरह कुछ भेड़िये जो थोड़े स्वभाव से जल्दी भड़कने वाला हो लीडर बनना चाहता हो, और अल्फ़ा नरों से पिट कर झुंड से अलग हो, अपना छोटा सा कोई अलग झुंड बना ले, ऐसी स्थिति में उन्हें खाने के लिए भी जंगल की अच्छी जगहों से खदेड़ दिया जाता है, इस तरह की स्थिति में जब खाने को कुछ नहीं मिलता तब ये भेड़िये गावों की और निकल आते हैं.
क्योंकि स्वभाव से ये भेड़िये पहले ही जल्दी भड़कने वाले होते हैं और भूख इनको किसी पर भी हमला करने को उकसाती है ऐसी स्थिति इंसानो के बच्चो और मवेशियों को खतरनाक स्थिति में पहुंचा देती है.
क्योंकि कोई भी व्यस्क इंसान भेडियो को दूर रख सकता है साथ ही लोग मवेशियों पर भी पहरा देते हैं तथा मवेशी दिन में ही चरते हैं और अपने मालिकों की निगरानी में रहते हैं इसलिए भेड़ियों के हमले बचे रहते हैं. किन्तु इंसानों के बच्चे उन पर किसी की नजर नहीं होती वे दिन हो या रात गावों में अकेले ही इधर उधर बिना सुरक्षा के घुमते रहते हैं, रात में ऐसी स्थिति का फायदा ये भेड़िये उठाने की कोशिस करते हैं और इंसानो और बूढी महिलाओं को अपना शिकार बनाने की कोशिस में हमला कर देते हैं.
भेड़ियों के 99 % हमले रात में होते हैं जब बच्चे बिना दरवाजे के कच्चे झोपड़ों में बिना सुरक्षा बिना लाइट के सो रहे होते हैं या अँधेरे में शौच के लिए बैठे हो, ये भेड़िये शाम से ही बच्चों की गतिविधियों पर छिप कर नजर बना के रखते हैं, और जैसे ही अँधेरा होता है भूरे भेड़िये धीरे धीरे पास आने लगते हैं और घटना को अंजाम दे देते हैं.
ऐसे हमलों से बचा कैसे जाय ?
ऐसे हमलों से बचना भी आसान होता है खेतों के पास रहने वाले लोगों को अपने झोपड़ों को दरवाजों खिड़कियों से मजबूत रखना जरूरी है, साथ ही बच्चो को शौच के लिए भी घर में या पास में बने शौचालयों में ही भेजे जहाँ लाइट की भी व्यवस्था हो, बच्चो को रात में अकेले न निकलने दें, क्योकि जंगली जानवर चाहे भेड़िया, तेंदुआ, बाघ, शेर, लकड़बघ्घा या आवारा कुत्ते भी रात में ही हमला करते हैं. जनसख्या घनत्व भी इसके लिए जिम्मेदार है, अब जंगलों में भी इन जानवरों के लिए शिकार नहीं बचे हैं हर जगह इंसान या उसके बच्चे मौजूद हैं इसलिए इन जंगली जानवरों का शिकार भी वे ही बन रहे हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार ने गांव वालों द्वारा बताये गए लंगड़े भेड़िये, जिसे ज्यादातर हमलों के लिए जिम्मेदार मन जा रहा है, को शूट करने के आदेश दे दिए हैं, मतलब इन हमलों के लिए ये घायल लंगड़ा भेड़िया जिम्मेदार हो सकता है