What is Mutual Fund in Hindi ?
म्युचुअल फंड क्या है ?
म्युचुअल फंड्स लाखों निवेशकों से थोड़ा थोड़ा इकठ्ठा किया गया फंड या धनराशि होती है जिसे अनुभवी फण्ड इन्वेस्टमेंट मैनेजरों की मदद से विभिन्न प्रकार के प्रतिभूतियों या शेयर बाजार में जोखिम और लाभ के अनुपात में या विभिन्न पोर्टफोइलियो में निवेश किया जाता है.
म्यूचुअल फंड को एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) द्वारा मैनेज किया जाता है। प्रत्येक AMC में आमतौर पर कई म्यूचुअल फंड स्कीम होती हैं।पेशेवर रूप से प्रबंधित म्युचुअल फंड, निवेशकों को स्टॉक, बॉन्ड और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स सहित विभिन्न परिसंपत्तियों में निवेश करने का एक तरीका प्रदान करता हैं।
भारत में, म्यूचुअल फंड सरकार द्वारा विनियमित हैं, जो उन्हें नए और अनुभवी निवेशकों के बीच पारदर्शी और अत्यधिक लोकप्रिय बनाता है।
म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करने वाले हर निवेशक को यूनिट या इकाइयां मिलती हैं, जो फ़ंड के स्वामित्व का हिस्सा होती हैं.
म्यूचुअल फ़ंड में निवेश से होने वाले मुनाफ़े को, निवेशकों के बीच सही अनुपात में बांटा जाता है.
म्युचुअल फंड में निवेश के खर्चे :
म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करने से पहले, कुछ खर्चों का ध्यान रखना होता है. जैसे कि, एक्सचेंज ट्रेडेड फ़ंड (ईटीएफ़) में निवेश करने पर डीमैट अकाउंट खोलने, उसके रखरखाव का खर्च, और ब्रोकरेज देना होता है
फीस या एक्सपेंस रेशियो : म्यूचुअल फंड एक्सपेंस रेश्यो आमतौर पर आपके निवेश के 1.5-2.5% तक होता है। एक्सपेंस रेश्यो वो फीस होती है जिसे आप AMC को अपना फण्ड (निवेश) मैनेज करने के लिए देते हैं। यह इसलिए कम है क्योंकि एक म्यूचुअल फण्ड में बहुत से लोगों का साझा निवेश होता है और फीस सब के बीच बट जाती है।
पारदर्शिता: म्यूचुअल फंड सेक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (SEBI) द्वारा रेगुलेट किए जाते हैं और उनके NAV (नेट एसेट वैल्यू) या कीमत का घोषणा प्रतिदिन के आधार पर की जाती है। उनके पोर्टफोलियो की घोषणा भी हर महीने की जाती है और इनके बारे में विभिन्न जानकारी भी जनता को दी जाती है।
फीस या एक्सपेंस रेशियो : म्यूचुअल फंड एक्सपेंस रेश्यो आमतौर पर आपके निवेश के 1.5-2.5% तक होता है। एक्सपेंस रेश्यो वो फीस होती है जिसे आप AMC को अपना फण्ड (निवेश) मैनेज करने के लिए देते हैं। यह इसलिए कम है क्योंकि एक म्यूचुअल फण्ड में बहुत से लोगों का साझा निवेश होता है और फीस सब के बीच बट जाती है।
पारदर्शिता: म्यूचुअल फंड सेक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (SEBI) द्वारा रेगुलेट किए जाते हैं और उनके NAV (नेट एसेट वैल्यू) या कीमत का घोषणा प्रतिदिन के आधार पर की जाती है। उनके पोर्टफोलियो की घोषणा भी हर महीने की जाती है और इनके बारे में विभिन्न जानकारी भी जनता को दी जाती है।
How Mutual Fund Works ?
म्यूचुअल फंड कैसे काम करते हैं ?
म्यूचुअल फंड में NAV या नेट एसेट वैल्यू फंड का प्रति शेयर मूल्य है। निवेशकों को उनके कुल निवेश और फंड के एनएवी के आधार पर Units आवंटित की जाती हैं। NAV की गणना, फंड के कुल मूल्य को शेयरों की संख्या से विभाजित करने पर प्राप्त होती है। उदाहरण के लिए, यदि फंड की कुल संपत्ति मूल्य 1 करोड़ रुपये है और फंड में 1 लाख बकाया शेयर हैं, तो एनएवी कुल संपत्ति मूल्य (1 करोड़ रुपये) को बकाया शेयरों (1 लाख) से विभाजित किया जाता है, जो 100 रुपये के बराबर होता है। मतलब फंड की NAV 100 रुपये प्रति यूनिट है।
NAV की गणना प्रतिदिन की जाती है. इसलिए, यह बदलता रहता है और पोर्टफोलियो में शेयर बाजार के प्रदर्शन के आधार पर ऊपर या नीचे जा सकता है।
Types of Mutual Funds :
म्युचुअल फंड के प्रकार:
म्युचुअल फंड विभिन्न प्रकार के होते हैं
- ओपन एंडेड फंड: ओपन एंडेड म्युचुअल फंड निवेशकों को कभी भी निवेश करने और निवेश से बाहर निकलने की सुविधा प्रदान करता है यानी आप इस फंड को कभी भी खरीद या बेच सकते हैं और ऐसे निवेशकों में जो सिर्फ लाभ कमाने के लिए निवेश करते हैं में यूनिट प्राइस बढ़ने पर लाभ कमाने के अवसर प्रदान करते हैं
-क्लोज एंडेड फंड: ओपन एंडेड फंड के विपरीत क्लॉज एंडेड म्युचुअल फंड में निवेशक कभी भी निवेश नहीं कर सकता और यदि निवेश क्र लेता है तो मतुआरिटी से पहले या लोक -इन पीरियड से पहले बेच नहीं सकता या निवेश से बाहर नहीं निकल सकता है .
- इक्विटी फंड : यदि फंड को मुख्यतया हाइली वोलेटाइल हायली रिस्की शेयरों में लगाया गया है जहाँ पर शेयरों के भाव बढ़ने या घटने की अत्यधिक सम्भावना है, ऐसे फंड को इक्विटी फंड कहते हैं इस तरह के फंड लॉन्ग टर्म के लिए अधिक लाभ कमाने के लिए डिज़ाइन किये जातें हैं
-डेब्ट फंड: डेब्ट फंड उन फंडस को कहते हैं जो कम रिस्की डेब्ट से सम्बंधित बाजार में लगाया जाता है और जहाँ पर एक निश्चित किन्तु इक्विटी की अपेक्षा कम लाभ मिलने की सम्भावना होती है, क्योकि यहाँ पर रिस्क फेक्टर कम होता है इसलिए कम रिस्क लेने वाले निवेशकों के लिए ये फंड आदर्श होते हैं
-हाइब्रिड फंड : जैसा की नाम से पता चल रहा है हाइब्रिड फंड उन्हें कहते हैं जिसमें लाभ और रिस्क दोनों का बैलेंस होता है. इस फंड में निवेशकों का पैसा डेब्ट और इक्विटी में बराबर बराबर लगाया जाता है जिससे निवेशकों को अच्छा रिटर्न भी मिले और रिस्क भी अपेक्षाकृत कम हो .
How to Invest in Mutual Fund ?
म्युचुअल फंड में निवेश कैसे किया जाता है ?
One Time Investment ( वन टाइम इन्वेस्टमेंट ) या एकमुश्त:
जब आप म्यूचुअल फंड में एक भुगतान करते हैं, तो दिन के NAV मूल्य के आधार पर आपको यूनिटें आवंटित की जाती हैं। उदाहरण के लिए, यदि उस दिन फंड का एनएवी 50 रुपये है तो आपको 10,000 रुपये के एकमुश्त निवेश के लिए 200 इकाइयाँ आवंटित की जाएंगी।
Invest by SIP (systematic Investment Plan)
एसआईपी द्वारा इन्वेस्टमेंट : एसआईपी में आप फंड में नियमित और थोड़ा थोड़ा निवेश करते हैं। ये हर महीने भुगतान की जाने वाली छोटी निश्चित किस्तें हैं, और यूनिटें उस दिन के एनएवी मूल्य के आधार पर आवंटित की जाती हैं। एक व्यवस्थित निवेश योजना नियमित निवेश प्रथाओं को प्रोत्साहित करती है और बाजार के लिए समय की आवश्यकता को समाप्त करती है।
म्युचुअल फण्ड में निवेश का माध्यम: म्युचुअल फंड में निवेश के लिए आपके पार डीमैट अकाउंट का होना अनिवार्य है.
-ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट: म्यूचुअल फंड कंपनी की वेबसाइट के माध्यम से आपको उनकी वेबसाइट पर पंजीकरण करना होगा और एक खाता ( डीमैट अकाउंट ) बनाना होगा। हालाँकि, यदि आप विभिन्न कंपनियों के कई फंडों में निवेश करना चाहते हैं तो यह तरीका कारगर नहीं हो सकता है।
-बैंक द्वारा इन्वेस्टमेंट : आपका बैंक भी आपको अपने नेट बैंकिंग या मोबाइल बैंकिंग प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध फंड में निवेश करने की सुविधा देता है। लेकिन यह संभावित म्युचुअल फंड की विभिन्न योजनाओं की खोज करने की आपकी क्षमता को सीमित कर सकता है क्योंकि बैंक केवल विशेष फंड्स और संख्या में म्युचुअल फंड को बढ़ावा देता है।
-किसी अच्छे ब्रोकरेज हॉउस के द्वारा : शेयर बाजार और म्युचुअल फंड्स में निवेश करवाने वाले ब्रोकरेज हाउस आपकी आवश्यकताओं के अनुसार म्यूचुअल फंड ढूंढने में आपकी सहायता के लिए उच्च तकनीक के स्क्रीनर और रिपोर्ट प्रदान करते हैं। साथ ही यहाँ से आप कभी भी इन्वेस्ट कर और लाभ ले कर निकल सकते हैं, किन्तु ये ब्रोकरेज हाउस आपसे एक अच्छीखासी फीस वसूल लेते हैं .
How to Select Mutual funds to invest ?
म्यूच्यूअल फंड कैसे चुनें ?
B )- आप कितने समय के लिए इन्वेस्ट करना चाहते हैं
C)- आप कितना रिस्क या जोखिम लेना चाहते हैं
D)- आप कितना लाभ कमाना चाहते हैं
E)- आपको म्युचुअल फंड में इन्वेस्ट का कितना अनुभव है, यदि आप नए नए इन्वेस्टर हैं या आप छोटी पूंजी से शुरू करना चाहते हैं तब आपको कहाँ इन्वेस्ट करना है
आपको पहले ये चुनना होगा की आप किस प्रकार के फण्ड में निवेश करना चाहते हैं। व्यापक रूप से, इक्विटी फंड तभी चुने जाने चाहिए जब आप ज़्यादा जोखिम उठाने को तैयार हों और इसकी समय सीमा 5 वर्ष से अधिक हो। अगर आप मध्यम जोखिम उठा सकते हैं, तो आप हाइब्रिड फंड में निवेश कर सकते हैं। यदि आप कम जोखिम लेना चाहते हैं, तो आपको डेट फंड में निवेश करना चाहिए।
आपको पहले ये चुनना होगा की आप किस प्रकार के फण्ड में निवेश करना चाहते हैं। व्यापक रूप से, इक्विटी फंड तभी चुने जाने चाहिए जब आप ज़्यादा जोखिम उठाने को तैयार हों और इसकी समय सीमा 5 वर्ष से अधिक हो। अगर आप मध्यम जोखिम उठा सकते हैं, तो आप हाइब्रिड फंड में निवेश कर सकते हैं। यदि आप कम जोखिम लेना चाहते हैं, तो आपको डेट फंड में निवेश करना चाहिए।
- सभी म्यूचुअल फंड यहां तक कि डेट फंड में भी कुछन कुछ जोखिम होता है।